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गुणस्थानकविचार.
स्थिति जघन्य एक समय उत्कृष्ट अंर्तमुहूर्त्तनी छे. ९ दशमो गुणठाणो सूक्ष्म संपराय इहां सूक्ष्म संज्वलननो लोभ उदय होवे. इहां वे जातना जीव पापीये, उपशम श्रेणि तथा क्षपक श्रेणि. करमने उपशमाने क्षपकश्रेणि कर्म मोहनीने खपावे, ए गुणठाणे एक सूक्ष्म संपराय चारित्र होवे, ध्यान शुक्ल होवे परिणाम निरमल होत्रे, ते अवेदी के एहनी स्थिति जघन्य एक समय उत्कृष्ट अंतमुहूर्त्तनी छे. १० इग्यारमो गुणठाणो उपशांतमोह विहां जे जीव उपशम श्रेणि आठमेछतोबोलना परिणामशांत मोह कर्मनी प्रकृतिउपशमावती जाय. तेहनो उठाणधुरथीज उपशमावानो के ते नवमे आवी मोहमकृति उपशमावी दशमे लोभ उप
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