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गुणस्थानक विचार. २११ भेद छे,उपसम समकित १ क्षयोपशम समकित २ क्षायिकसकित तिहां अनंतानुबंधिकपाय ४ मिथ्यात्वमोहनी, मिश्रमोहनी, समकितमोहनी एसातप्रकृति उदये आवे ते खपावी अने उदये नथी आवी ते विपाके उपसमावी छे, प्रदेसे उदये छे, समकितमोहनी उदय आकरो छे तेणे समकितमां अतिचार लागे छे तेहने क्षयोपशम समकित कहीई, एहवी स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूत्त छे उत्कृष्टि ६६ छासठिसागरोपम केतलाएक मनुष्यभव अधिक एतली स्थिति रहे ए समकितने पांच अतिचार लागे तेहनां नाम ॥ संका जे आगममां कह्यो ते साचो पिण काईक संदेह उपजे १, अतिचार ॥ कंखा बीजा मतना शास्त्र तथा
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