________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२१२ गुणस्थानकविचार. देव हरिहरादिक सरागि तथा ते मतना गुरुसविकारी तेहने काईक रुडापणे जाणि वांछा करिए २ अतिचार, वितिगिछाजे धर्मअरिहंतनो कह्यो करीइं पण एहनो फल थासे के नही थाय अथवा जिनसासनथी वीजा मतनी करणी रुटी छे एहवो परिणाम आवे ते बीजो ३ अतिचार॥ पसंस जे परमतनी परसंसा करे जे वीजा मतना देव तथा लिंगीयाना कष्टकरणी तथा कोई चमत्कार देखीने ते उपर राग आवे तेहने पंग लाग तेहना गुण बोले ए चोथो ४ अतिचार जाणवो ॥ संथयो जे बीजा मतना देव तथा गुरु तथा ते मतना जे सेवक तेडनो परिचय मेलाप घणो करे बीजा मतनी बात करे सांभले तेपांचमो अति
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only