________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२१० गुणस्थानकविचार. करे तेवारे एक ज्ञान मार्ग साचो करी माने, बूद्धिसूक्ष्मभाव जाणवानी विशेष थाई तेबारे पछे एक आत्मा पोताना शरीरने विषे रह्यो, पण अशरीरी छे, अरुपी छे, अविनाशी छे, अनंतज्ञानमयो, अनंत दर्शनमयी,अनंत चारित्र मयी,अनंत अगुरुलधुमयी, अनंततपमयी, अनंतवीर्यमयी, निर्मल अलेप अखंड छ तेहना प्रदेश अखंख्याता छ, प्रदेश २ अनंता गुण अनंता पर्याय छे, उपयोग लक्षण ते माहरो धर्म छे, ए धर्म जे जे करतां प्रगट थाये, गुणीश्रीअरिहंत, सिद्ध, आचारज,उपाध्याय, साधु तथा सिद्धांत तेहनो विनय तथा वैयावञ्च करवो, अरिहंतना आगम प्रमाणप्रतीत राखे ते समकित कहीइं, ते समकितना तिन
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only