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आगमसार.
कहं अम्हारिसा पाणी, दुसमादोसदूसिया || हा अणाहा कहं हुंता, न हुंतो जड़ जिणागमो ॥ १ ॥
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अर्थ - हे भगवंत ! अमसरिखा प्राणीनी शी गति थात जे अमें आ दुसम पंचम कालमां अवतार लीधो. हा - इति खेदे, अमे अनाथ कुं. ( छोए ) जो जिनराजन कहेला आगम न होत तो आज शुं थात, एटले आज आगमनोज आधार छे माटे आगम अने आगमधर जे बहुश्रुत तेनो घणो विनय करवो. आगममां विनयनुं फल ते सांभलवु अने सांभलवानुं फल ज्ञान छे, ज्ञाननुं फल मोक्ष छे, एम आगम सांभली लेवा योग्य
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