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आगमसार.
सझ्झाय भणवा गुणवानुं फल मोक्ष कह्यो रे. सझाय करवार्थी ज्ञानावरणी कर्म खपावे केमके वाचनाथी तीर्थधर्म प्रवत्र्ते, महानिर्जरा थाय पछवाथी सूत्र तथा अर्थ शुद्ध थाय, मिथ्यात्व मोहनीय खपावे, ते जेम अर्थ विचार पूछे तेम तेम समकित निर्मळ थाय अने अनुप्रेक्षा ते अर्थ विचारतां सात कर्मनी स्थिति, रस पातला करे. अनंतो संसार खपावीने पातला करे तथा श्रुतज्ञाननी आराधनाथी अज्ञान मिटे एवां फल कहां छे. ___ माटे यांचर्चा तथा भणवानो घणो उद्यम करवो, केमके आज पांचमा आरामां कोइ केवलो नथी तथा मनःपर्यवज्ञानी अने अवविज्ञानी पण नथी,एकमात्र श्रुतज्ञान-आगमनो आधार छे.यतः
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