________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आगमसार.
विणसी जाओ, ए म्हारुं शरीर पौगलिक छे परवस्तु छे ते एक दिवसे मूकवुं छे माटे रे प्राणी ! तुं आपणा आत्माने निर्मलपणे ध्यावतो संसारथी तरीने कांठो पामीश.
ए हिज अप्पा सो परमप्पा, कम्मविसेसोइ जायोअप्पा ॥ इमये देवज्जाजुसो परमप्पा, बहु तुझे अप्पो अप्पा ॥ १० ॥ अर्थ :- अहो भव्यजीव ! एहीज आपणो आत्मा छे ते शुद्ध ब्रह्म छे पण कर्मने वश पड्यो जन्ममरण करे छे पण ए शरीरमां जे जीव छे ते देव छे, परमात्मा छे, माटे तुमे आपणो आत्मा ध्यावो, तरण तारण जिहाज ए आपणो आत्माज के एम श्री हेमाचायें
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only