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आगमसार.
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छैये अने जो ते किणजो तथा सोनुं जू दुं करियें तो सहु कोइ सोनाने ले पण कोइ किणजो जे कुधातु ते लीये नही तेम निश्चय नय सोना समान छे माटे निश्वयनय सहित सर्व भला के अने निश्चयनय विना सर्व अलेखे माटे आगममां निश्चय व्यवहार रूप मोक्षमार्ग छे ते को.
वली शरीर ऊपर मोह करे नही ते विषे. च्छिज्जो भिज्जो जाय खओ,
जो इहमे हु सरीरं || अप्पा भावे निम्मलो, जं पावं भवतीरं ॥ ९ ॥ अर्थ :- भव्य प्राणी एम शरीर छीजजाओ भिजजाओ, क्षय थइ जाओ,
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चिंतवे जे
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