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आगमसार. १८९ वीतरागस्तोत्रमा कयो छे.
यः परात्मा परं ज्योतिः, परमः परमेष्टिनाम् ॥ आदित्यवर्ण तमसः, परस्तादामनंति यम् ॥ १॥ सर्वे येनोदमूल्यंत, समूलाः क्लेशपादपाः । इत्यादि ॥
अर्थः-परमात्मा छे, परमज्योति छे, पंच परमेष्ठीथी पण अधिक पूज्य छे. केमके पंचपरमेष्ठी तो मोक्षमार्गना देखाडनारा छे पण मोक्षमा जवावालो तो आपणो जीव छे. अज्ञाननो मिटावनार छे सर्व कर्म क्लेशनो खपावनार छे एवो आत्मा ध्यावो एहिज परम श्रेय, कारण छे, शुद्ध छे, परम निर्मल छे.
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