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आगमसार.
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जिनमतनी चाहना के अने जो तुमे जिनमतने इच्छो छो, मोक्षने चाहो छो तो निश्चयनय अने व्यवहारनय छांडशो नहि एटले बेहु नय मानजो. व्यवहार नये चालजो अने मिश्रय नय सद्दहजो जो तुमे व्यवहार नय उत्थापशो तो जिन शासनना तीर्थनो उच्छेद बाशे. जेणे व्यवहार न मान्यो तेणे गुरु वंदना, जिनभक्ति, तप, पञ्चख्खाण, सर्व न मान्या एम जेणे आचार उथाप्यो तेणे निमित्त कारण उथाप्यो अने निमित्त कारण विना एकलो उपादान कारण ते सिद्ध न थाय, माटे निमित्त कारणरूप व्यवहार नय जरूर मानवो अने जो एकलो व्यवहार नय मोनियें तो निश्चयनय ओलख्या बिना तस्वनुं
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