________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
e
आगमसार.
पहेलो निय
नय ते पुण्यनुं कारण कह्यो नय संवर छे अने निश्चय संवर निश्चय नय ते एकज छे जूदा नथी. बीजो व्यवहार नय ते आस्रव नवा कर्म लेवानो हेतु छे एटले शुभ पुण्य कर्मनो आस्रव थाय छे अने अशुभ व्यवहारें अशुभ कर्मनो आस्रव थाय छे. कोइ पूछे जे व्यवहारनय आस्रवनुं कारण छे तो अमे व्यवहार नही आदरसुं, एक निश्चय मार्ग आदर. तेने उत्तर कहे छे.
जई जिणमयं पवज्जह,
ता मा ववहारनित्थर मुयह ॥ एकेण. विण तिथ्थं,
छिज्जइ अत्रेणओ तच्च ॥ ८ ॥ अर्थः-- अहो भव्य प्राणी ! जो समने
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only