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ते पूर्व पर्याय भासननो व्यय अने अभिनव ज्ञेयना पर्याय भासननो उत्पाद तथा ज्ञानपणानो ध्रुव ए रीते सर्व गुणना धर्मनी प्रवृत्तिरूप पर्यायनो उत्पाद व्यय श्रीसिद्धभगवन्तमां पण थइ रह्यो छे. एमज धर्मास्तिकायना प्रदेशे ते क्षेत्र गत पुद्गल तथा जीवने पहेले समये असंख्यात चलण सहायीपणो परिणमतो हतो अने बीजे समये अनन्त परमाणु तथा अनन्ता जीव प्रदेशने चलन सहायी थयो नेवारें असंख्याता चलन सहायनो व्यय अने अनंता चलन सहायनो उपजवो अने गुणपणे ध्रुव एम धर्मद्रव्यमध्ये उत्पाद व्यय थइ रह्यो छे तेमज अधर्मादिक द्रव्यने विषे पण भावj. तथा वली कार्य कारणपणे
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आगमसार,
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