________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१०६
आगमसार.
जीवना आठ रुचक प्रदेश सिद्ध समान नि. र्मल के मांटे संग्रहनय कहे जे सर्व जीवनी सत्तासिद्ध समान छे एणे पर्यायार्थिक नयेंकरी कर्म सहित अवस्था ते टालीने द्रव्यार्थिक नयेंकरी अवस्था अंगीकार करी तेवारें व्यवहारनय बोल्यो जे विद्या लब्धि प्रमुख गुणे करी सिद्ध थयो ते सिद्ध. ए नये बाह्य तप प्रमुख अंगीकार करवा, हवे ऋजुमूत्रनय बोल्यो के जेणे पोताना आत्मानी सिद्धपणानी सत्ता ओलखी अने ध्याननो उपयोग पण तेज व छे ते समये ते जीव सिद्ध जाणवो. ए नये समकीति जीव सिद्ध समान है एम कयुं हवे शब्दनय बोल्यो जे शुद्ध शुक्र ध्यान परिणाम नामादिक निक्षेपे ते सिद्ध. तेवारें
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only