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अगमसार होय. हवे शब्दनसल्याजे धर्मत मूलसकित छ माटे समकितमा धर्म लेखा समभिनय बोल्यो जे जीव अजीववत तय द्रव्यने ओलखीने जीवसत्ता व्याके अजीवर्ना त्याग करे एहवो ज्ञान दर्शन चारित्रनो शुद्धनिश्चय-परिणाम ते धर्म. ए नये साधक सिद्ध परिणाम ते धर्मपणे लीधा. एवंभूतनय बोल्यो जे शुक्ल ध्यान रूपातीत परिणाम क्षपक श्रेणि कर्म क्षयना कारण ते साधन धर्म जे जीवनो मूल स्वभाव ते वस्तु धर्म जे मोक्षरूप कार्य नीपने सिद्धमा रहे ते धर्म. ए साते नये धर्म कह्यो. ___ हवे सातनये सिद्धपणो कहे छे. नैगमनयनी मते सर्व जीव सिद्ध छे केमके सर्व
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