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आगमसार
१०७ समभिरूढनय बोल्यो जे केवलज्ञान केवलदर्शन, यथाख्यातचारित्र ए गुणे सहित ते सिद्ध जाणवा. ए नये तेरमा चउदमा गुणठाणाना केवलीने सिद्ध कह्या अने एवंभूतनय कहे छे के जेना सकल कर्म क्षय थया लोकने अंते विराजमान अष्टगुण संपन्न ते सिद्ध जाणवा. ए रीते सिद्ध पदे सात नय कह्या. एम सात नय मिल्या मुमकीति छे अने जे. एक नयने ग्रहण करे ते मिथ्यात्वी छे. ए साते नय सिद्ध ते वचन प्रमाण छे अने ए सात नयमां कोइ पण नयने उत्थापे तेनुं वचन अप्रमाण छे. ___ हवे प्रमाणनो विचार कहे छे. प्रमाणना बे भेद छे. एक प्रत्यक्ष प्रमाण बीजं परोक्ष
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