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आगमसार.
निक्षेपा विना अशुद्ध छे जे नाम तथा आकार लक्षण गुण सहित वस्तु ते भाव निक्षेपो जा. णवो " उवओगो भाव " इति वचनात् एटले पूजा, दान, शील, तप, क्रिया, ज्ञान ए सर्व भावनिक्षेपे सहित लाभर्नु कारण छे इहां कोइ कहेशे जे मनना परिणाम दृढ करीने जे करिये तेने भाव कहियें एम कहे छे ते जूठा छे एतो सुखनी वांछायें मिथ्यात्वी पण घणा करे छे ते गणवू नहीं. इहां सूत्रनी साखे वीतरागनी आज्ञाए हेय उपादेयनी परीक्षा करी अजीवतत्त्व तथा आस्रवतत्व अने बन्धतत्व उपर हेय कहेतां त्याग भाव अने जीवना स्वगुण जे संवर निर्जरा तथा मोक्ष तत्व ऊपरें उपादेय परिणाम ते भाव कहिये एटले रूपी
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