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( ६० ) छछंदरी थी वाद्य ते भडक्या :
वे अवधिज्ञान, मनपर्यवज्ञान धारी, पूर्वधर मुनि वाद्य के समान थे किंतु माया रूपी छिपकली से भडकाये जाने पर संसार में पड़े हैं । सायर तरतां झाझ ते अडक्या ॥७॥चे। :
___ वे मुनि चारित्र रूपी जहाज से भवसमुद्र पार कर रहे थे कि मान रूपी पर्वत से टक्करा कर वही फँस गये । अब तो कभी भारंड पक्षी के समान कोई ज्ञानी मिलेंगे तभी भवसागर पार कर सकेंगे।
सुतर तांतणे सिंह बंधाणो :
आद्रकुमार जैसे सिंह के समान मुनि भी सूत के कच्चे धागे से बंधकर फिर से गृहस्थ बन गये ।
छिलर जल मां तारु मुंझाणा :
जिन्होंने उपशम श्रेणी पर आरुढ होकर संसार को अल्प कर लिया है, फिर भी सराग संयम के फलस्वरूप देव गति में गये, इसे कहते हैं छिछले जल में तारा बनकर डूबना ।
उधण आलसु धण कमायो :
जिन व्यक्तियों ने पंचेन्द्रियों के विषयों को देखने सुनने के लिये उधरण मुनि का रूप धारण किया तथा नवीन कर्म बंध में आलसु मुनि का रूप धारण किया, उन्होंने केवल ज्ञान रूप धन को प्राप्त किया ।
कीडीए एक हाथी जायो ॥८॥०॥ :
चरम गुणस्थान की चरम श्रेणी पर चढकर इस चिउंटी समान
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