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( ५५ ) ऊँट वणी परनाले जावे ॥५॥:
ऊँट याने लोभ, परनाला याने व्यापार आदि पाप । अधिक लोभ से प्राप्त धन व्यापार आदि पाप के नाले में बह जाता है । डोकरी दूजी भेस वहके :
डोकरी याने चिंता, भेंस याने शरीर । चिंता के दुहने पर याने बढने पर शरीर बहकता है अर्थात् सूखता है । चोर चोरे ने तलार बांधी मुके :
चोर याने मन, तलार याने शरीर। मन चोरी करता है, पाप करता है और शरीर को बंधन में डाल देता है ।
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