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( ५४ )
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लटुडे देवरे मातनी पाई :
लटुडे देवरे याने लघुकर्मी, माता याने सुमति । लघु कर्मी जीव ने सुमति माता को उत्पन्न किया ।
ससरो सुतो वहु होंडोले :
ससुर याने जीव, सोता याने प्रमादवश, वहु याने सुमति । जीव प्रमादवश सो रहा है, उसे सुमति झुलाती है अर्थात् उसे जागृत करती है ।
हालो हालो सोभावी बोले ||४|| :
हालो - हालो - चलो चलो, उद्यम करो यह स्वभाव कहता है । समय थोड़ा है, पुरुषार्थ करो ।
सरोवर उपर चढी बिलाइ :
सरोवर याने शरीर, बिलाइ याने बुढ़ापा । शरीर पर बुढापा चढ गया है, व्याप्त हो गया है ।
बंभण घरे चंडाली जाई :
ब्राह्मण याने ज्ञानी जीव, चंडालन याने कदाग्रह । ज्ञानी जीव के घर में कदाग्रह उत्पन्न हुआ अर्थात् ज्ञानवान जीव को कदाग्रह रूपी चंडालन पैदा हुई ।
कीड़ी सुती पोली नमावे :
कीड़ी याने माया, सोती याने विस्तृत हुई, पोल याने काया, शरीर । माया के अधिक विस्तृत होने पर वह शरीर रूपी पोल (द्वार) में नहीं समाती है ।
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