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:- हरियाली -:
वरसे कांबल भीजे पाणी :
___ कंबल अर्थात् इन्द्रियें बरसती है, पानी याने जीव कर्म से भारी होता है। अर्थात् इंद्रिय रुपी कंबल के बरसने पर जीव रुपी प्राणी कर्म-जल से भीगता है।
मांछलीए बगा लीधो ताणी :
मच्छी याने लोभ और बगुला याने जीव । मच्छी ने बगुले को खींच लिया अर्थात् लोभ ने जीव को संसार में खींच लिया।
उडेरे आंबा कोयल मोरी :
__ उडे याने सावधान रहे, आम याने जीव, कोयल याने तृष्णा, मोरी याने विस्तार। तृष्णा के बढ़ने पर जीव को सावधान रहना चाहिये।
कलीय सींचतां फलोअ बीजोरी ॥१॥:
कली याने माया, बीजोरा याने लोभ, खेद । माया रूपी कली को सींचने पर लोभ, खेद, रूपी बीजोरा का वृक्ष फला पूला ।
ढांकणीए कुंभार जघडीयो :
ढक्कन याने माया, कुम्हार याने जीव । ढक्कन ने कुम्हार को बनाया अर्थात् माया ने जीव को संसार में भटकाया।
लगडा उपर गादह चढ़ीओ :
लगड़ा याने राग द्वेष अभिमान, गादह याने जीव । अर्थात् राग द्वेष अभिमान ने जीव को अपने वश में कर लिया।
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