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( २४ ) हरियाली ११
कामिनी कोई कोपे चडी, निज नाथने मारे । मारता देखे धणा, पण कोई न वारे ॥१॥का.।। नाडो नाथ जाणी करी, पूडे उजाणी। माथे मारी आणिओ, घरमांहिं ताणी ॥२॥का.॥ परपुरुष हाथे ग्रही, तव माने सुख । उंधमुखी धणी आगले, हिये नाथने दुःख ॥३॥का.॥ धनहर्ष पंडित इम कहे. सुणजो गुणवंत । नाम कहो ते नारीनें, जो हो बुद्धिवंत ॥४॥का.।। हिंदी शब्दार्थ :
कोई स्त्री क्रोधित होकर अपने पति को मारने लगी । बहुत से लोगों ने उसे मारते हुए देखा, पर किसी ने नहीं रोका ॥१॥ पति को कमजोर समझ कर पीछे से पकड़ा, सिर पर मारा और खींच कर घर में ले आई ॥२।। पर पुरुष का हाथ पकड़ कर वह सुख मानती है । वह उल्टे मुह वाली पति के सामने ऐसा करती है, जिससे पति के दिल को दुःख होता हैं ।।३।। सुधनहर्ष पंडित कहते हैं कि हे गुणवान् ! सुनो, यदि बुद्धिमान् हो तो उस स्त्री का नाम बताओ ॥४॥
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