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षड्च्छंद शिक्ष्यशास्त्र ईटलाई पछ
प्रासाद
मंडप
वितान
जगती
पीठ
ਵਿਸ
पीठिका
नगर
जलाशय
नृपति
छंद
बलाणक
प्रवेश
प्रोली
स्तंभ
(१) माड (२) मौड (३) शुद्ध (४) शेखर (५) तुंगार ( ६ ) सिंहक (१) तृप्त ( २ ) पट्ट (३) वाजिन (४) पूर्ण (५) खंड (६) पांडू (१) गूढ़ (२) नृत्य (३) चन्द्रालोक (४) भद्रावलोकन (५) स्त्रीक पक्ष, नाभि, सभा, मंदार भिन्न मिश्रक
कर्पाजा भ्रमजार भद्रजाउ मध्यजाय पाश्वजा ९
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वेदी बन्द, श्रीवत्स, पंकज भद्रज, सुभद्र तारक आदि, अनादि, स्वयंभु बाणा, शक्खाख, वर्धमान बेदाश्रा, वर्तुलख्या र त्रिकोण षडंशका ४ वैदिक अष्ट्रास नगर-पुर-ग्राम- खेट कूट कर्बट
वापी - कूप - तड़ाग रथ चक्र यंत्रादि
वेदी, सिंहासन, छत्र शय्या कबच आयुध
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मेरुच्छंद, खंडमेरु, पताकाच्छंद सूचिछद४ उदिष्ट नष्ट वामन, विमान, हर्म्यशाल, पुष्कर, उत्तुं उत्संग, पूर्याचाहुर होनबाहु, प्रतिकाय ४
उत्तङ्ग मालाधर, विचित्र चित्ररुप मकरध्वज
श्राहकांन रुचक विष्णुकांन पश्वश्च२ स्कंदकांत चतुरस्त्र भद्र अष्टाश्च षड्श्च भानुकांत चन्द्रकान्त ईशकान्त रुद्रकांत बारहास द्विवत्र वृत्त
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વાસ્તુતિ કે