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________________ ( १४७ ) इसमें क्रिया विधिपूजन आदि द्वार स्थापन प्रासादके धरदेवतान्यास, शस्यविज्ञान मूहुर्त चक्रादि वास्तु, वास्तुपूजन, वज्रलेपका प्रकार, वास्तुद्रव्य, गणित कोष्ठक प्रासादाङ्ग प्रमाणो आदि० विषयोंसे पूर्ण ret सुन्दर ग्रन्थ में रेखाचित्रो नकसा आदि दीया हुया है । मूल्य रु. १० दस डाक पृथकू ७-८ श्रीरार्णय- | वृक्षार्णव - | यह दानु ग्रन्थ विश्वकर्मा और नारदजीका संवादरूप अद्भुत अद्वितिय महाग्रन्थ है सांधार महाप्रासादा चतुर्मुख महाप्रासादो के विषय है. तीन साढे तीन भूमि उदयका महामंडपों पृथक् पृथक् प्रकारका कहा है जीन में अनेक विषयोकी चर्चाकी है जो विद्वान लोगका विषय है क्षीरार्णका २२ अध्यायका ८०० श्लोक प्रमाण प्राप्त हुआ है । वृक्षार्णवका १८०० श्लोक प्रमाण- प्राप्त हुआ है । ये दानु दुष्याप्य शिल्प साहित्य अवर्णनीय है. ये दानु ग्रन्थमे महाचमुख प्रासादकी चारो ओर २० - २७ मंडपकी रचना मेघनाद आदि मंडप बनानेका विवरण है। तीन भूमि तक का एकt fast स्थापना की विधि चतुर्मुख में कही है । एसा अद्भुत ग्रन्थ दुर्लभ है । देोनु ग्रन्थका संशोधन हो रहा है । ९ बेडामा प्रासाद तिलक - यह ग्रन्थ पंदरवी शताब्धीका सूत्रधार वीरपालकी सुन्दर रचना है freeका अन्य ग्रन्थो अनुष्टुप छंदमें है । ― प्रसाद तिलक संस्कृत राग रागणी मे शार्दुल विक्रीत वसंततिलका आदि छदमें ग्रन्थकी सुन्दर रचना की है । अब तक उसका चार अध्याय प्राप्त हुआ है । ग्रन्थका संशोधन कार्य चल रहा है । संशोधन कार्य में श्री अमृतलाल भाइ त्रिवेदी. शिल्पी बहुत भ्रम ले रहा है । शिल्प स्थापत्य कला साहित्य प्रकाशन बलवंतराय सोमपुरा एवं भ्रातुओं
SR No.008436
Book TitleVedhvastu Prabhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year1965
Total Pages194
LanguageGujarati, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Art
File Size5 MB
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