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३ प्रासादमञ्जरी-मूल सहित गुजराती अनुवाद. विवरण उपरोक्त
मूल्य रु. ७ सात डाकखर्च पृथक ४ PRASAD - MANJARI-मूल सहित अंग्रेजी अनुवाद उपरोक्त दीये हुए विवरणवाली अंग्रेजी आवृत्ति---जीनका अंग्रेजी अनुवाद और अन्य विभाग प्रस्तावना. भारतकी प्रथंक २ प्रासादजातीका लक्षण आदि पुरातत्वज्ञ विद्वान श्री मधुसुदनभाइ ढाकीजीने अच्छी तरह से लिखा है । भारतके प्रत्येक प्रांत और विदेशक भारतीय शिल्प स्थापत्यका रसज्ञ विद्वानांको भारतीय प्राचीन कलाका सुन्दर परिचय हो । यह ग्रन्थ अव प्रेसमें है मूल्य अंदान रु. ११ अग्यार डाकखर्च पृथक ५ जिनदर्शन शिल्प--यह ग्रन्थ दीपार्णव के उत्तरार्ध रूप है । इनमें
जैन प्रासाद शिखर-जिन प्रतिमालक्षण-जिन परिकर लक्षण २४ यक्ष २४ यक्षणी, दश दीपाल, नवग्रह, पोडप विद्यादेवी, जिन अष्ट प्रतिहार, जिन क्षेत्रपाल, पद्मावतीको पृथक पृथक स्वरुप, माणिभद्रजी, सरस्वती, घंटाकर्ण यह सर्व देवदेवीयांकी मूर्तिका रेखा चित्रालेखन चोसठ योगीनी नाम, बावनवीर नाम समवसरण-अष्टापद, मेरुगिरि, नंदीश्वरद्वीप यह चारो शाश्वत तीर्थकी रचना प्रमाण आदि शास्त्रोक्त शिल्प कृतिओं--जीनायत-१०८. ८४, ७२, ५२, २४ आयतनकी रचना क्रमअतित अनागत और वर्तमान तीर्थकगेकी चोवीशी क्रमका नाम लाच्छन, वीश विहरमानका नाम लाच्छन, चौदसो बावन गणधर, सहस्त्र कूटोन्तर्गत १०२४ तीर्थंकरो, अष्टमंगल, चौदस्वप्नका आलेखन आदि जैनदर्शनका स्थापन विषयका यह अद्भुत ग्रन्थ है. सिद्धचक्र महायंत्र, ऋषिमडळयत्र है जिनमें १७५ देवदेवीयोंका रेखाचित्र स्वरुप आदि है।
मूल रु. ९ नव डाक पृथक वेधवास्तु प्रभाकर-इस ग्रन्थमें प्रासाद गृह प्रतिमा आदिके वेधदोष अनेक प्रकारके दीये हुऐ है विविध प्राचीन ग्रन्थोके प्रमाणोके सार अच्छी तरहसे दीये है यह ग्रन्थ दीपार्णव ग्रन्थकी पूर्तिरुप है ।