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( ११७ ) वैसे आठ पश्चिममें खुणे पीर, दोवारिक, सुग्रीव, पुष्यदेव, वरुण, अमुर, शेष, पापयक्ष्मा उत्तरमें रोग, नाम, गुख्य भल्लाट, सोम, शैल. अदिति, दीति ये आठ एम चारो ओर बत्तीस पदमें वत्तीस देव बसे
वास्तु पदके बाहरकी देवियोंमे ईशानमें चरक, अग्निकोनेमें विदारिका, नैऋत्यमे पूतना और वायव्यमें पाराक्षसी, देवियां हैं । पूर्वादि दिशाके मध्यमें पूर्व पिलिपिन्छा । दक्षिणमे जम्बा, पश्चिममें सेदा और उत्तरमे अय मा वैसी आठ देवियां वास्तुपदमें बसी हुआ है। २८२-८३-८४-८५
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