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वास्तु पुरुषतुं चित्र.
विदारिकार
इंद्र ! सूर्य सत्य | भृश आकाश
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पूवा
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आप
। अर्यमा
सावित्र अने सविता
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वितय
आपवत्स
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शैल
हक्षता
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पथ्वीधर
ब्रह्मा
कुबेर
यम
भल्लाट
गंधर्य
मुख्य
मृग
नाग
रुद्रअनेरुद्रदास
मृग
पापयक्ष्मा शेष असुर वरुण पूष्य सुग्रीव नंदि।
पूतना
आ वास्तुपुरुष चित्र छे, तेनो आकार उधोछे एटले पुरुषाकृति दे खाती नथी पण चरकी नीचे ईश नाम छे ते वास्तुपुरुषनु मस्तक समजबूं. तथा पूतना उपरनो भागछे तेतेना वे पगोनांपगतलो जोडाएलांछे ते पूर्व पश्चिमे जमणूंडाभु अंग छे, ते वास्तुपुरुषघर करवानी जमीनना क्षेत्रना प्रमाणे कल्याय छे.