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* Prasad Manjari *
दिशाके दिक्पालो
मिले
मेरु मडोषर ५ खरा २० कुंभा ८ कलश २॥ अंतराल ८ केवाल ९ मंचिका ३५ जंधा
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उत्तर-कुबेर
८ भरणी
११०॥ ८ मचिका २५ जंघा १३ उद्गम
८ भरणी ११ शिराषटी ८ महाकेवाल
ने २॥ अंतराल १२ छज्जा
पूर्व-इंद्र दक्षिण-यम ८७॥ रुपका) ७ भरणीः ८ महाकेवाल ७ मचिका ९ अंतराल १० छज्जा इस प्रकार १६ जंघा दश थर बनानेका विधान है। ७ भरणी मचिका उद्गम-दाढियाः एवं ४ शिराषटी शिरावटी ये तीन थर सामान्य ५ पाट मंडोवर में नहीं बनाने में दोष १२ छाद्य नहीं है, कितने मंडोवर में
शिरावटीका थर कहा नहीं है। २४९ भाग महा प्रासादः-सांधार महा म डेोवर प्रासादके लिये दो तीन भूमिका
मेरु मडोषर कहा हैः यहाँ पर १४४ भागका नागरादि मडोवर कहा है। जिसमें भरणी तक के नव थरों के ११०।। भाग जिनके उपर मचिका आठ भाग; जघा पश्चीस भाग; उद्गम दोढिया तेरा भाग; भरणी आठ शिरावटी अग्यारा भाग; महा केवाल आठ भाग; अंतराल ढाई भाग; और छज्जा छाद्य बारा भाग मिलकर ऊपरकी मंजिल को उक्त
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पश्चिम-वरुण