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क्रम बिषय
प्रा० १३ महानीलप्रा०
१४ भूवर प्रा० १५ ६८ विभक्ति ६ अढाराइ
६९ विभक्ति ७ विशाह
तल मुकुटोज्वल प्रा०
२० गजराज प्रा०२१
राजहंस प्रा० २२ गरुड प्रा० २३ ७० विभक्ति ८ चोबिसवां
तल रत्नकूट प्रा०१६ वैडूर्य प्रा० १७ पद्म
राग प्रा०१८ वज्रक १९१२०-२३ १७
तल वृषभ प्रा० २४ मेरु प्रासाद २५
७१ केशरादि सांधार अथवा निरंधार प्रकारका प्रासाद पचश करना ७२ मेरु प्रासाद पाँच हाथ
को १०१अंडका करना बिश बिश अंडक की वृद्धि करके ५० हाथ
तकको प्रासाद राजाओंके लिये बनाना अन्य वर्णके लिये नह बनाना । मेरु प्रासाद
श्लोक पत्र संख्या संख्या
११९ १६
२५
१२४-२८ १७
१२९-३२
१७
१३३ १८
ब्रह्मा विष्णु शिव
ओर सूर्य के लिये
बनाना अन्य देवो के
लिये नहि बनाना १३४-५ १८
क्रम
विषय
७३ अथ मंडप - प्रासाद के आगे एक या तिन
द्वारका मंडप जिन एवं त्रिपुरुषके लिये बनाना प्रासाद के
प्रमाण से मंडपका प्रमाण
७४ अथ चतुष्कि प्राग्रीव मंडप ७५ प्रासादना मध्यपदने अनुसार मंडपका पद रखना
७६ प्रासाद का शुकनाश के प्रमाण से मंडप का
७९ अथ
पत्र
श्लोक संख्या संख्या
१३६-३९
८०-८५ अथ बलाणक पांच
स्वरुप एवं नाम बलाणक
कहा
१४०-४१
आमलसारा रखना १४२ ७७ कक्षासन युक्त स्तंभ
का छोड विभाग १४३-४५ ७८ अथ गुढ मंडप आठ
का स्वरूप एवं नाम १२
१४२
नृत्य मंडप सत्तावीशकी स्तंभ संख्या नृत्य प भूमि युक्त करना वितान गुम्बज १४८-४९
१४४-४७
१८
१८
१८
१८
१९
१९
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करना १ वामन २
विमान ३ हर्म्यशाल
४ पुष्कर ५ उत्तुङ्ग १५०-५४ २०