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सूत्रस तान अपराजित ६४ विभाग द्वारोदय
४३ ऋषिमुनि
४१ ब्रह्मयुग्म
३९ बुध ३७ उमारुद्र
३५ भृंग बहार
३३ यक्ष
३१ मार
२९ गरुड
२७ अलशायिन विष्णु
२५. शेषनाग
२३ व्यक्त
२१ व्यक्ताव्यक्त
१९ अव्यक्त
१७ १५.
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-शिवलिङ्ग स्वरुप तत्त्वो
ज्ञानप्रकाश दीपार्णव वास्तुविद्या द्वारोदय ३२ विभाग
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२१ लक्ष्मी जिन
२० दुर्गा ऋषिमुनि ब्रह्मयुग्म १९ बुद्ध चित्रलेप
१८ उमा रुद्र विष्णु लक्ष्मी ब्रह्मा सावित्री
१७
१६ यक्षराज
१५
१४ मातृदेवी
१३
१२ शेषशायिन
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-शिवलिङ्ग
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farara सुदिप्रतिष्ठासार मत द्वारोदय नव विभाग सातवां भागका नौ भाग कर
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→ सातवा भागक करके सातवा
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-निम्न छ भाग त्याग
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सातवा भागका दश भाग करके सातवां भाग जिनद्रि
ठक्कुर फेर वास्तुसार मत बारोदय दस भाग
।।।।।।।
देवी यक्ष यक्षाणि
जिनप्रभु
-६ चित्रप पतिम
५ बराह
४ लक्ष्मी
नारायण
३ शेषशायी
२ शिव-शक्ति
१ शिवलिङ्ग
|-लक्ष्मीनारायण
छट्टा भाग में आठ भाग करके पांचवा - सातवा भागका आठ
प्रासाद मंडन मत द्वारोदय आठ भाग
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४ शेषाशायी
२ शिवलिङ्ग