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________________ 71 सांधार भाग विभा * Prasad Manjari 3ri ju साधार सर्व आर तलभूत विमानमार ए इ विभक्ति किस 43 क म ७१ You "सर २८ निदिधाराराष्ट्र पांचमा प्रासाद - दशाई तल पर चौथा भेद कहते हैं । नंदशाल प्रासाद के स्थान पर कर्ण - रेखा पर एक श्रृङ्ग है वहां दो दो श्रृङ्ग चढाने से पांचवा "नंदिश” नामक २१ अंडक का प्रासाद जानना । इति नंदिश । विभक्ति ||३|| प्रासादके क्षेत्रके १२ भाग करके कर्ण-रेखा प्रतिरथ और भद्रार्ध दो दो भागके करके कर्ण पर दो और भद्र पर दो दो ऊरुङ्ग एवं प्रतिरथ पढरे पर एक श्रृङ्ग चढाने से छठ्ठा "मंदर" प्रासाद २५ अंडक तुल भाग १२ का जानना । इति मंदर । १११-११२ विभक्ति ||४|| प्रासाद के क्षेत्रके १४ चौदह भाग करके रेखा, कर्ण, प्रतिरथ और भद्रार्ध दो दो भाग के रखने तथा भद्रकी दोनों ओर ( पक्ष में) एक एक भागकी नंदी करनी कुल चौदहाई तल हुआः कर्ण-रेखा पर दो दो, प्रतिरथ पढरे पर एक एक और उन पर एक एक तिलक चढाना, नंदी पर एक तिलक और भद्रके उपर तीन ऊरुश्रृंग चढाने से सातवा "श्री वृक्ष" प्रासाद तुल भाग १४ अंडक उनतीम जानना । इति श्री वृक्ष । आठवा प्रासाद — श्रीवृक्ष प्रासादके शिखर पर रेखा -कर्ण के उपर दो के स्थान
SR No.008427
Book TitlePrasad Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year1965
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size5 MB
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