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प्रभाकर.ओ.शिल्पी
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सिनी सोनार विस्तार भाग
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सरशारया विस्तार भाग
उपन्यास
याचिका गंधराया
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सप्ताखानल म्वरुप (नलकडा)-शखोद्वार अने उदुम्बग्ना तल अने दर्शन हीनोप्युदुम्बरम्” के प्रमाण से कुंभी के आधे, तीसरे. अथवा चोथाई भाग तक उंबरा नीचा करना जमाना इसी समय तलकडा एवं कुम्भी को कायम रखकर ही केवल उदुम्बर नीचा जमाने का विधान है। शिल्पी भाईओं में से कितनोंही का मत ऐसा है कि उदुम्बर जमाने (निचा) के साथ साथ ही तलकडा और कुम्भी को भी नीचे उतारनी चाहियेः इससे स्तम्भकी उंचाई बढ जाती है, क्षीराव में इसी प्रसंग में “कुम्भीस्तम्भौ च पूर्वबन' अर्थात् कुंभी और स्तम्भको पूर्ववत कहे गये विधानके अनुसार उसी प्रकार जैसे है वैसे ही रहने देनाः इस प्रकार कहा गया है यदि तलकडे के साथ कुंभीभी निम्नरखे ना मंडोवरके मुंभा को बराबर कुंभी का समसूत्र नहीं रहता है; क्षीरार्णव में कुंभी नीचे उतारने का विधान नहीं हैं। फिर भी कितने ही प्राचीन मंदिगेंमें