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________________ आ रीते वर्णविकारने लगता वधा नियमोने आपवामां आव्या छ. नियमोमां सौथी पहेला सर्व साधारण नियमोने आपवामां आव्या छे अने पछी विशेष ( आपवादिक ) नियमोने मूकवामां आव्या छे. नाम अने आख्यातना प्रकरणमा प्राकृत, शौरसेनी वगेरेनां रूपोनी साधना बताव्या पछी क्रमवार प्राकृत, शौरसेनी वगेरेनां रूपोने मूकवामां आब्यां छे अने केटलेक ठेकाणे ए बधां रूपोने साथे साथे एक ज ओळमां पण मूकलां छे (जओ पृ० १२५-१२६-१२८१२९ -१३०-१३२-१३३ नामप्रकरण अने पृ० १४१ तथा पृ० २५१ आख्यात प्रकरण) खास विशेषता (विशेषताओने टिप्पणमा मूकेली छे ) (१) पालिनी साथे सरखामणी प्राकृतभाषाना वर्णविकारना नियमोने पालिभाषाना वर्णविकारना नियमोनी साथे सरखाववामां आव्या छे अने केटलेक स्थळे तो पालि शब्दोने पण मूकवामां आव्या छे ( पालिशब्दो माटे जओ पृ०-८१५-१८ वगेरे) नामनां, धातुनो, कृदंतनां अने तद्धितनां रूपोने पालिरूपोनी साथे मूकवामां आव्यां छे अने केटलीक जग्याए पालिना प्रत्ययो आपीने पण सरखामणी बतावी छे (प्रत्ययो माटे जूओ पृ० २४८ अने ३२४ ) संधिप्रकरणमां अने बोने पण संभावित स्थळे सरखामणी माटे पालिना नियमोने आपवामां आव्या छे. एकंदर रीते पालिनी अने प्राकृतनी सरखामणी सविस्तर दर्शाववामां आवी छे अमे ते एटलाज माटे के प्राकृतमो अभ्यासी साथे साये पालिने पण सर्वांशे शीखी शके.
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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