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________________ लाजिना । रण्णा राजा रण्णो लानिने लाजाने रो । रणो रानो आ उपरांत-~ ए धर्मलिपिभोमां अनादि ‘ट' नो 'ट' ज रहेलो छ (घटिते) त्यारे जैन आगमोनी भाषामा प्राकृत प्रमाणे 'ट' ने बदले 'ड' थएलो छे (घडिए) .ए धर्मलिपिओमां 'अहं' ने बदले • हवं' रूप पण वपराएलु छे त्यारे आगमोनी भाषामां क्यांय ए रूपनो उपयोग ज नथी थएलो. _आ रीते अशोकनी धर्मलिपिओनी प्राचीन मागधीनुं स्वरूप 'पण वर्तमान आगमोनी भाषामां एने अर्धमागधी कहेवराववा पूरतुं य घटी शकतुं नथी, ए हकीकत उपर जणावेलां उदाहरणांथी ज जाणी शकाय एम छे. - ए आगमोनी छेल्ली संकलना थया पहेला, एमां जेवी भाषा अत्यारे छे तेवी नहि होय ए हकीकत तो आगमोमां रहेला केटलांक जूनां रूपो उपरथी ज जाणी शकाय एवी छे.. आगमोनी रचनासमयनी भाषाना अने देवर्धिगणिनी संकलना-. समयनी भाषाना अंतरने समनवा माटे गुजराती भाषानुं नीचेनुं उदाहरण बस छेः
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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