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________________ आ० जुत युक्त निखम निक्खम निष्क्रम कलाण कल्लाण कल्याण २.र'नो वैकल्पिक ' ल । अशोकनी लिपिओमा : र' ना स्थाने सर्वत्र · ल' नो प्रयोग वैकल्पिक रोते थएलो देखाय छे त्यारे जैन आगमोमां प्राकृत भाषाना धोरणनी पेठे (र' नो ज प्रयोग कायम रहेलो छः लि. सं० आदिकले आइकरे आदिकरः आदिकरे आइगरे परिसा परिसा पलिसा चरणं चरण चरणम् चलनं हिलंन हिरण हिरण्य हिरण मरणं ] मरणं मरणम् पर्षत् मलने ३ अनादि-असंयुक्त व्यंजननो लोप अशोकनी धर्मलिपिओमां अनादि-असंयुक्त क, ग, च, ज, त, द, प, ब, म अने व लोपाता नथी त्यारे आगमोनी भाषामां प्राकृत भाषानी पेठे ए बधा अक्षरो लोपाएला छे: आ० सुकृतम् मिगे मृगः सं० सुकतं सुकयं मिए
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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