________________
टकनी भाषा ए लिपिओनी साथे सरखामणीमां आवी शके एवी छे. त्रिपिटकमां पण 'मागधी' भाषानो उपयोग थयानुं नीचेनी गाया जणावे छे'. .
अशोकनी धर्मलिपिओमां वपराएली भाषानुं बंधारण तपासतां आ नीचे जणावेला मुख्य नियमो उपनी शके छः
१ अद्विर्भाव ( वर्णन नहि बेवडावू) 'संयुक्त अक्षर अनादिमा होय अने संयुक्त अक्षरमांनो एक अक्षर लोपाय त्यारे जे शेष अक्षर होय छे ते बेवडाय के अथवा संयुक्त अक्षरनी पहेलांनो हस्व स्वर दीर्घ थाय छे'
प्राकृत भाषाओनो आ एक साधारण नियम छे. अशोकनी धर्मलिपिओनी भाषामा ए नियम क्वचित् ज सचवाएलो जोवाय छे पण जैन आगमानी भाषामा प्राकृतना नियम प्रमाणे ए नियम बराबर सचवाएलो छे.
लिपिओनी भाषामा वपराएलां एवां द्विर्भाव विनानां अने दीर्वस्वर विनानां रूपो आ प्रमाणे छः लिपिओनी भाषा आगमभाषा संस्कृतरूप अप
अप्प
अल्प कप
कप्प १ “सा मागधी मूलभासा नरा यायाऽऽदिकप्पिका ।
ब्रह्मना चस्सुतालापा संबुद्धा चापि भासरे " ।।
२ आमां अशोकनी धम्मलिपिमाथी जे रूपो आप्यां छे ते उदाहरण रूपे छे, एने मळतां बीजां अनेक रूपो छे. पण बधा अहीं विस्तार भयथा आप्या नथी. बीजी ए एक यात लक्ष्यमा राखवानी जरुर छ के, अशोकना प्रान्तीय पाठ भेद पण केटलेक ठेकाणे छे; जो के में बने त्यां सुधी सर्व साधारण रूपो लेवानो प्रयत्न को छे.