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सप्तर्माना बहुवचननो प्रत्यय पर रहेतां अकारांत नामना अन्त्य ¿ अ 'नो 'ए' बाय छे. शौरसेनी - प्रत्ययने लगता नियमो
पंचमी - प्राकृतमां पंचमीना एकवचनना प्रत्ययो लागतां मूळ अंगनो जे फेरफार जणान्यो छे ते शौरसेनीमां पण लागु थाय छे. बाकी बधां शौरसेनीनां रूपाख्यानो प्राकृतनी प्रमाणे छे.
मागधी - प्रत्ययने लगता नियमो
पढमा - ज्यां शून्य छे त्यां मागधीमां पुंलिंगी अकारांत नामनुं प्रथमानुं अने संबोधननुं एकवचन 'एकारांत' थाय छे. मागधीनुं आ एकारांत रूप आर्षप्राकृतमां पण वपराएलुं छे अने आ एक ज रूपनी पराशने ल िए आर्थप्राकृतने पण अर्धमागधी ' तरीके जणाववामां आवेलं छे.'
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छठ्ठी
चउत्थी ) मागधीमां चोथी अने छठ्ठी विभक्तिमां अकारांत के आकारांत नामथी एकवचनमां 'ह' अने बहुवचनमां ' हैं ' प्रत्यय विकल्पे लागे छे अने ते ने प्रत्ययो लागतां पूर्वना स्वरनो दीर्घ थाय छे. बाकीनां बधां मागधी रूप शौरसेनी प्रमाणे समजी लेवानां छे उपर जणावेलो बहुवचननो 'हँ ' प्रत्यय प्राकृतमां पण वापरी शकाय छे. पैशाची - प्रत्ययने लगता नियमो
पंचमी - शौरसेनीमां पंचमीना एकवचनमां जे फेरफार जणान्यो छे ते पैशाची पण समजवानो छे. बाकी बधां पैशाचीनां
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रूपाख्यानो शौरसेनी प्रमाणे समजवानां के.
१ जूओ हे० प्रा० व्या ० अ० ८, पा० ४, सू० २८७.
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