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प्रेस स्टाफके हेड श्री शंकरसिंहजीने श्रम लेकर किया है। ग्रंथमें आये हुए कई ब्लोकका सुन्दर काम कर प्रोप्युलर प्रोसेस स्टुडियोने ग्रंथको सुन्दर आकर्षक बनाने का यथाशक्ति प्रयत्न किया है, इन सभी मित्रोंकी सहर्ष नोंध लेकर आभार मानता हूँ।
ग्रन्थमें आये हुए कई ग्लोकके आलेखन सौराष्ट्र गुजरातके प्रख्यात युवान शिल्पकार श्री चन्दुलाल भगवानजी और अभी प्रभासपाटण सोमनाथजी के कार्य पर है वे मेरे भानजे शिल्पकार श्री भगवानजी मगनलालने भी अन्य आलेखादि कार्यमें-दोनों मुझे सहायक हुए हैं। इस बातका सहर्ष उल्लेखकर आभार मानता हूँ।
सर्वे सुखिनःसन्तु सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा काचं दुःखमाप्नुयात् ॥
इति शुभं भवतु, श्री कल्याणमस्तु ।
वि. सं. २०२३ वैशाख शुदी त्रीज, स्थपति प्रभाशंकर ओघडभाई सोमपुरा अक्षयत्रतीया
शिल्प-विशारद पालीताणा ता. १२, मी मे सन १९६७