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"ज्योतिष, तंत्रशास्त्र, विवाद, आयुर्वेद और शिल्प प्रन्थों में उनकी भाषा के शब्दों का बहुत विचार न करते उनके भावार्थको ग्रहण करना ।" सुज्ञ पुरुषों व्याकरणादि क्षतियोंके प्रति उपेक्षा कर हंसवृत्ति धारण करेंगे ऐसी मेरी प्रार्थना है ।
इस ग्रन्थका यथायोग्य अनुवाद किया गया है, परन्तु जहाँ जहाँ अस्पष्ट पाठों हों या जहाँ शंकाओं या अपूर्ण पाठों हों वहाँ भावार्थ दिया है। कई स्थलौपर असंबद्ध पाठों या अति अशुद्धि के कारण अनुवाद करनेका अशक्य हुआ है। वैसे पाठभेदों की स्पष्टता मिलते ही वहाँ योग्य सुधारके लिये अवकाश है । मैं नहीं कह सकता हूँ कि मेरा अनुवाद क्षतिरहित है, अपूर्णता और अशुद्धिसे आई हुई क्षतियोंके लिये उदारभावसे विद्वान महाशयों क्षमा करें ।
क्षीरार्णवके प्रारम्भके ९८ अध्यायों की अपूर्णता के कारण प्राप्त ग्रन्थों के अध्यायों के एक साथ क्रमांक, अध्याय संख्या सुगमता के लिये रखे गए हैं ।
प्रन्धके भाषानुवाद के साथ प्रत्येक अंगकी टीका और अन्य ग्रंथोंके मतान्तर की नोंदी हुई हैं । ग्रन्थ वांचन से अर्थ नहीं सरता है । क्रियात्मक ज्ञान ( प्रेक्टीकल) का मर्म देनेसे ग्रन्थ संपूर्ण बनता है । उसके साथ कोष्ठकों अनेक आलेखनो, नकशे और चित्रों भी इसी विषयोंको स्पष्ट करनेके लिये जरूरी है । वे और अन्य प्राचीन ग्रंथों के अवतरण भी दिये गए हैं। ग्रंथको अधिक समृद्ध बनाने के लिये यथामति प्रयास किया है। मेरे प्रयास की कद्र विद्वान वाचक करेंगे ऐसी आशा रखता हूँ ।
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वंशपरम्परा के व्यवसाय में मेरा ज्येष्ठ पुत्र श्री बलवंतराय और पौत्र श्रीचन्द्रकांत यह शिल्प स्थापत्य व्यवसाय में जुड़ायें हैं वो कुलपरम्परा को समृद्ध करेंगें यही प्रभु प्रार्थना है । दूसरा पुत्र विनोदराय एम. ई. अमेरिका सीवील एन्जिनीयर है । श्रीहर्षदराय बी. ए. एल. एल. बी. अहमदाबाद हाईकोर्ट एडवोकेट है । श्रीधनवन्तराय बी. ए. एल. एल. बी. बेंक व्यवसाय में हैं ।
क्षमायाचना - एक विद्वान कहते हैं, "कविकी जिह्वामें और शिल्पीयोंके के हाथों में सरस्वती बसती हैं " शिल्पीकी बानी भाषा में व्याकरणकी त्रुटियाँ सहज ही हों उनके प्रति उपेक्षा दिखाकर ग्रन्थके मूल अर्थ - भावार्थको विद्वानों ग्रहण करेंगे ऐसी मेरी प्रार्थना है ।
थका हिन्दी अनुवाद श्री जयेन्द्रकुमार माणेकलाल शाह. एम. ए. << राष्ट्रभाषा रत्न" ने श्रम लेकर सुन्दर किया है और ग्रन्थका सुन्दर और स्वच्छ छपाईकाम अहमदाबाद के नवप्रभात प्रेस में उसके प्रोप्रायटर श्री मणिलालभाई और