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________________ स्थपति प्रभाशंकर ओघडभाई सोमपुरा शिल्प विशारद का संशोधित प्राचिन शिल्प स्थापत्य कलाका अलभ्य साहित्य ग्रंथों का प्रकाशन १. दीपार्णव श्री विश्वकर्मा प्रणिन शिल्पका प्राचिन महान ग्रंथ ७६+४८८ = ५५४ पृष्ठों बड़ी रोयल साइज ३५० लाईन ब्लोक रेखाचित्र, १०५ हाफटोन फोटो ब्लोक सहित-भूल संस्कृत श्लोक और उनके गुजराती अनुवाद-मर्म और टीप्पणके साथ भरपुर संपूर्ण विवरणके साथ दलदार ग्रंथ, अध्याय २७-जीनमें प्रासादका संपूर्ण प्रमाणो अनेक देव-देवीयोंकी शिल्पाकृतीयां :अनेक प्लानों इलिवेशन साथ दीये गये हैं। स्थपति श्री प्रभाशंकरजीका दीर्घ-सक्रीय अनुभवकी प्रसंशा विद्वानोंने की है। ५० पृष्ठकी विद्वद्पूर्ण प्रस्तावना पढ़नेसे संपादक की कुशलता और विद्वताका परिचय होता है। यह ग्रंथ संपादन में ६० प्राचिन ग्रंथोंका प्रमाण दीया गया है। मूल्य रु. २५ पच्चीस डाक खर्च पृथक् । २-३. प्रासाद मञ्जरी-हिन्दी और गुजराती अनुवादित मूल संस्कृत साहित्य, हिन्दी-गुजराती अनुवाद पृथकू पृथक् ८० रेखाचित्र हाफटोन ब्लोक २० है । यह ग्रंथ पंदरमी शताब्दीमें मेवाड़में कुंभाराणाके समयमें मंडन सूत्रधारका लघुबंधु नाथजीने ग्रंथ रचना की है। संपादकका शील्पका विस्तृत शान और विद्वत्ताका परिचय होता है। अनुवादके साथ मर्म-टीप्पणसे भरपुर है। अनेक शिल्पग्रंथोंका प्रमाण दीया गया है। प्रत्येकका मूल रु. ७ सात । डाक खर्च पृथक । 4. PRASADA MANJARI मूल सहित अंग्रेजी अनुवाद-उपरोक्त दीये हुए विवरणकी अंग्रेजी आवृत्ति जीनका अंग्रेजी अनुवाद और अन्य विभाग स्थपति प्रभाशंकरजीकी प्रस्तावनाका अंग्रेजी अनुवाद, प्रासादकी १४ जातियाँ वर्तमान प्राप्त शिल्पग्रंथोंका विवरण आदि पुरातत्वज्ञ श्री मधुसुदनभाई अ० ढाकीने अच्छी तरहसे लीखा है। भारतके प्रत्येक प्रांतकी शिल्प स्थापत्य कलाका सुंदर परिचय दीया है। श्री मधुसुदनजी अब अमेरिकन एकेडेमीमें वास्तुशास्त्रके शब्दकोश तैयार कर रहे हैं। यह ग्रंथ प्रेसमें है। मूल्य रु. १५ बारा डाक खर्च पृथक । ५. जिनदर्शन शिल्प-- यह ग्रंथ दीपावके उत्तरार्ध रुप है-इनमें जैन प्रासाद शिखर जिन प्रतिमा लक्षण, परिकर लक्षण, २४ यक्ष, २४ यक्षीणी, दश दीग्पाल नौग्रहो षोडश विद्यादेवी-आदि । जीनमें १७५ देव-देवीयोंका रेखाचित्र स्वरुप फोटा आदि दीया गया है। मूल्य रु. १० दश, डाक खर्च पृथक ।
SR No.008421
Book TitleKshirarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size13 MB
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