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अथ मंडपाधिकार કયાં કરવા તે હું કહું છું. દેવમંદિર આગળ પ્રાસાદ (રાજમહેલ) આગળ, નગરના કિલ્લા આગળ, જળાશયની મધ્યમાં કે આગળ એમ બલાણુકના પદ સ્થાન જાણવા. ૬૪-૬૫.
पाँच प्रकारके वलाणकके नामों कहते हैं । १. वामन २. विमान ३. हर्म्य शाल ४. पुष्कर ५. उत्तुंग । इस तरह पाँचों बलाणकके वर्तन स्वरूपपद संस्थान के मानसे कहाँ कहाँ करना वह कहता हूँ। देव मंदिर आगे प्रासाद (राजमहल) के आगे; नगर के कोटके आगे; जलाश्रय के मध्यमें या आगे इस तरह बलाणक के पद स्थान जानना । ६४-६५.
वामनो देवताग्रे च विमानोतुङ्गै राजवेश्मनि । हर्म्यशाले गृहे वाऽपि प्रासादे नगरानने ॥६६॥
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शिव-विष्णु और ब्रह्मा-त्रिभूतिका तोरण युक्त गेबलं