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________________ ४९ अवशिष्ट आगमो. हाल अलग ओळखवामां आवता दश अवशिष्ट सूत्रो. बहटिप्पणि राण. पाटण. IMEIDI DEIA जेसलमेर लीबडी. खंबात. पावनगर. अमदावाद अमदावाद कोडाय. मुबर रिमार्क. वनका ४५1 छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे छे, छे। छे.. • • पटामा समाय छे ते दरेकना नाम. साथे जोडेली फूटनोटमां जणाववामां आवशे.. छतां तेमना इहां ते जदुं गण्यु छे. एर्नु मूलनाम पर्युषणाकल्प छे, छतां हाल ते कल्पसूत्रना नामे वधु प्रसिद्ध छे. सूत्रनी आदिमां स्थविरावली छे ते देवर्द्धिगणिकृत छे, अने बाकीना भाग भद्रबाहुस्वामिकृत छे. ( वडनगर ) ना ध्रुवसेन राजानी समक्ष तेना पुत्रना मरणनो शोक निवारवा ते पंचायुं त्यारी. ते. १५८ आप्या छे. सिंहकृत धर्मविधिवृत्ति पण. तेमणे सुधारी छे. तछिष्य यशोभद्र सछिध्य देवसेनगणि अने तेना शिष्य ते पृथ्वीचंद्र.. नयुक्तिनी व्याख्याना छे.
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
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