SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५० नंबर. नाम. किरणावली सुबोधिका कल्पकल्पलता कल्प मंजरी प्रदीपिका कल्पदुकलिका कल्पदीपिका कल्प लघुटीका अवचूरिरूपवृत्ति अवचूरिलेश * अवशिष्ट आगमो. श्लोक. ४८१४ ६००० धर्मसागर विनयविजय समयसुंदर ६००० रत्नसागर $ ३३०० संघविजय ४१०९ लक्ष्मीवल्लभ ३५३२ पं. जयविजय १००० ७७०० २०८५ ७०० कर्ता. उदयसागर & महीमेस + डेक्कन कॉलेजना रिपोर्टमा एना श्लोक ४५०० नोंध्या छे. आ कल्पदीपिका श्रीभावविजयजी वाचके शोधेली छे. च्यानो संवत्. १६२८ १६९६ Gov. १६७४ Gov. 1 १६७७ समयसुंदर उपाध्याय विक्रमनी सतरमी सदीमा थएला छे. 5 डेकन कॉलेजना रिपोर्टमा पेज २७५ मा एना कत्ती सहजकाति लख्या छे. परंतु अजमेर नी $ उदयसागर वे थया छे: - एक सं. १५५७ मां श्रीपालक थाना रचनार लब्धिसागरना गुरु रची छे. हवे आ वृत्तिकार ए बेमांथी कया हशे ते विषे अमारुं धारयुं एवं छे के ते बीजा उदयसागर * आ अवचूरिलेश संदेहविषैौषधि ऊपरथी उद्धृत करेल छे.
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy