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________________ ४८ अवशिष्ट आगमो. पूर्वप्रदर्शित पिस्ताळीश आगमना अंतर्भूत रहेला छतां नंबर. नाम. श्लोक. कर्ता. रच्यानो संवत् पर्युषणाकल्प १२१६ भद्रबाहुस्वामी नियुक्ति गा. ६८ निरुक्त टिप्पन संदेह विषौषधी वृत्ति | १५८ विनयचंद्र। पृथ्वीचंद्र | ३०४१ | जिनप्रभा १ आ दशे सूत्रो पिस्ताळीश आगमना पेटामांज समाय छे अने ते कया कया आगमना नामना विशेष स्मरणना अर्थे इहां तेमने नंबरवार नोंधवामां आव्या छे. * आ सूत्र दशाश्रुतस्कंधना आठमा अध्ययन रूपे छे, छतां ते अलग लखातुं होवाथी वली ए बारसे श्लोक प्रमाण होवाथी एने “ बारसासूत्र " ना नामे पण ओलखवामां आवे छे. ए| ए सूत्र छेदनथ होवाथी प्रथम सभा समक्ष वंचातुं न हतुं पण विक्रम सं. ५२३ मां आनदपुर सभासमक्ष वंचाय छे. * डेक्कन कॉलेजना रिपोर्टमां एना श्लोक ४०० आप्या छे. पण वृहटिप्पनिकामा एना श्लोक + एमणे मलिचरित्र नामे महाकाव्य सं. १२८६ मा रचेल छे. तथा तेज वर्षमा उदय : पृथ्वीचन्द्रसूरिए. सदरहू टिप्पनना प्रांतमां आ प्रमाण प्रशस्ति आपी छे. शीलभद्रशिष्य धर्मघोष एमां श्लोक २४६८ सूधी कल्पसूत्रनी व्याख्या छे अने त्यारकेडे श्लोक ५७३ कल्पसूत्रनी
SR No.008418
Book TitleJain Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Catalogue
File Size7 MB
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