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नंबर.
नाम.
६ द्रव्यानुयोगव्याख्या. A
द्रव्यालंकारतर्क C
の
८ नयचक्रवाल E
जैनन्याय.
श्लोक
कर्त्ता.
पत्र ४५ भोजपंडित B
पं. रामचंद्र गु
णचंद्र D मलवादि
४००
रख्यानो सं.
क्या छे ?
अ. १.
यू.
अ. १.
७३
A आ ग्रंथ अमदावादना डेलाना भंडारनी टीपमा नौघायलो छे माटे ते दुर्लभ्य होवाथी तेनी नकल करावी लेवानी खास जरूर छे.
B भोजपंडित वेतांबर छे के दिगंबर छे तेमज ते क्यारे रचेल छे ते वगेरे हकीकत ग्रंथ जोयाथी मालम पडे तेम छे.
C आ ग्रंथ बृहद्विष्पनिकामां नोंघेल छे छतां ते हजु सूधी अमने उपलब्ध थयो नथी. ग्रंथना नामपरथीज ते बहु उपयोगी अने सरस इसे एम जणाय छ माटे एवा ग्रंथनो विशेष पत्तो मेळववानी खास जरूरीयात छे.
D पं. रामचंद्र ते अमारा अनुमानप्रमाणे हेमाचार्यना शिष्य रामचंद्र गाणे होवा जोईये केमके तेमना रचेला जैन नाटक ग्रंथोमां तेमणे पं.ना इलकावथीज पोताने ओळखावेल हे तेथी वृहद्धिपनिकाकारे तेज इलका ओळखाव्या छे. अने तेमना साथै गुणचंद्र नाम छे ते गुणचंद्रनामना वे आचार्य थया छे तेमांना बीजा होवा जोईये, पहेला गुण चंद्रसूरिए सं. १९१९ मां प्राकृत वीरचरित्र रचेल छे, एट ते तो हेमाच नी पूर्वे थई गया छे, पण बीजा गुणचंद्रसूरि के जेमणे हैमविभ्रमकार टीका रची छे ते आ गुणचंद्र छे. अने ते रामचंद्रगणिना संघाती होवाथी वखते देमाचार्यना शिष्य होय तो पण होय, छतां चोकस निर्णय ग्रंथ जोयाथी थई शके.
E नयचक्रवालने हुंकामां नयचकना नामे पण ओळखत्रामां आवे छे. तेना बार विभाग दोवाथी तेने " द्वादशार " एटले चार आरकवालुं एवं विशेषण पण अपाय छे. ए ग्रंथनुं मूळ केटला श्लोक छे ते जाणवामां नथी आव्युं माटे जे कोई विद्वान् मुनिमहाराजना पास ते मंथ होय तेमणे ते हकीकत अमने अवश्य जणाववा कृपा करवी एवी तेमने नम्र विनंति करवामां आवे छे.
' मलवादि आचार्य धीरनिर्वाणथी ८८४ वर्षे एटले के विक्रम सं. ४१४ मां पद्मचरित्र रच्युं छे एम प्रभावक चरित्रमां कहे छे एवी नॉध पीटर्सनना चोथा रिपोर्टमां ते रिपोर्टना मध्य भागमां पेज त्रीजामां छे. मल्लवादिए सम्मतिसूत्रपर टीका रचेली छे एवो बृहटिप्पनिकामां उल्लेख छे पण ते टीका हाल उपलब्ध थती नथी. एमणे बौधाचार्य धर्मोत्तरकृत न्यायबिंदु ऊपर पण टीका एटले के टिप्पन रचेल छे. आ मलवादि आचार्ये राजसभामा बाद करी बौद्धोने इरावी जिनशासननी उन्नति करी तेथी तेओनं नाम आठ महाप्रभावकनी गणत्रीमां मशहूर छे.