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जैनन्याय.
रच्या
नाम.
श्लोक.
कती.
क्यां छ?
चंद्रसेन
वृत्ति तत्वार्थ सूत्र.A भाग्य B
उमास्वातिवा
१२०७ S. H. .
वृ., मुद्रित. वृ., पा. ३-४ को.
मुद्रित. वृ., पा. ३-४ ली.
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वृत्ति
१८२८२
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वृत्ति
D
२१४२
सिद्धर्षिक यशोभद्रा हरिभद्र G यशोविजय
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लघुवृत्ति F
डेक्कन रिपोर्ट पेज
तर्कभाषा
पा. ४-५ खं.Gov.
6.
___A आ सूत्रने तत्वार्थाधिगम तथा मोक्षशास्त्र पण कडेवामां आवे छे. ए सूत्रो श्वेतांबर तथा दिगंबर बन्ने मान्य करे छ, तेथी एनाऊपर बन्ने पक्षोना आचार्योए जूदी जूदी व्याख्या करी छे. आ कारणथी आ जगोए एनी श्वेतांबराचार्यकृत व्याख्याओ नोंधी छे अने आना चोथा वर्गमा दिगंबरकृत व्याख्याओ नोंधवामां आवशे.
B आ भाष्यना कर्ता उमास्वातिवाचक पोतेज छे एम एनी टीकाना आयतनुं अवलोकन करतां जणाय छे. पाटणनी एक टीपमां तत्वार्थनी नागरवाचककृत एक वृत्ति श्लो. २८९० नी नोंधी छे, पण ते अमारा अनुमान प्रमाणे भाष्यज होवू जोईये. कारण के भाष्यनी प्रांते ते नागरवाचके रच्यु छ एम लख्यु छ अने नागरवाचक ते खुद्द उमारवातिनुं बीजू नामज छे. आ बाबतनी खातरी करवी होय तेणे पीटर्सनना श्रीजा रिपोर्टमां पेज ८३ थी ८४ मां नोंधेलो तत्वार्थ वृत्तिनो प्रांतनो उल्लेख यांची जोवो. ___C आ सिद्धर्षि ते दिनगणिशिष्य सिंहसूरि तच्छिध्य भास्वामिना शिष्य छे.
D आ वृत्ति फक्त पाटणनी पांचमी टीपमा नोंधाइ छ एटले ते दुर्लभ्य जेवी छे.
E आ यशोभद्रसरि ते धर्मघोषसूरिना शिष्य होवा जोईये एम अमारुं धारयु छे, अने पीटर्सनना पेला रिपोर्टना ७६ मां पेजमा प्रत्याख्यानस्वरूप नामना ग्रंथनी प्रांतगाथामां सं. ११८२ मां ते ग्रंथ यशोभद्रसूरिए रच्यो छे एम जणाव्यु छे ते यशोभद्र ते आज यशोभद्र छे एम अमाझं अनुमान छे पण चौकस निर्णय पुस्तक जोयायीज थई शके तेम छे.
F आ लघुवृत्ति फक्त डेक्कन कॉलेजमां मळी आवी छे अने ते डेक्कन कॉलेजना रिपोमां पेज १४५ मां नंबर ३६९ मां नोधेल छे. माटे ए ग्रंथनी पण नकल उतारवानी खास जरूर छे.
G आ हरिभद्रसूरि ते पहेला हरिभद्रसूरि छे के बीजा हरिभद्रसूरि छे ते नकी करवानी खास
I
damani
भगत्य छे.