SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 190
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates 卐 954555+++++++ -२卐 नवपदार्थपूर्वक मोक्षमार्गप्रपंचवर्णन 95555555555555 द्रव्यस्वरूपप्रतिपादनेन शुद्धं बुधानामिह तत्त्वमुक्तम्। पदार्थभङ्गेन कृतावतारं प्रकीर्त्यते संप्रति वर्त्म तस्य।।७।। अभिवंदिऊण सिरसा अपुणब्भवकारणं महावीरं। तेसिं पयत्थभंगं मग्गं मोक्खस्स वोच्छामि।। १०५।। - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - ----------------------------- [प्रथम, श्री अमृतचन्द्राचार्यदेव पहले श्रुतस्कन्धमें क्या कहा गया है और दूसरे श्रुतस्कन्धमें क्या कहा जाएगा वह श्लोक द्वारा अति संक्षेपमें दर्शाते हैं : ] [श्लोकार्थ:-] यहाँ [ इस शास्त्रके प्रथम श्रुतस्कन्धमें ] द्रव्यस्वरूपके प्रतिपादन द्वारा बुद्ध पुरुषोंको [बुद्धिमान जीवोंको] शुद्ध तत्त्व [शुद्धात्मतत्त्व ] का उपदेश दिया गया। अब पदार्थभेद द्वारा उपोद्घात करके [-नव पदार्थरूप भेद द्वारा प्रारम्भ करके] उसके मार्गका [-शुद्धात्मतत्त्वके मार्गका अर्थात् उसके मोक्षके मार्गका वर्णन किया जाता है। [७] [अब इस द्वितीय श्रुतस्कन्धमें श्रीमद्भगवत्कुन्दकुन्दाचार्यदेवविरचित गाथासूत्रका प्रारम्भ किया जाता है :] शिरसा नमी अपुनर्जनमना हेतु श्री महावीरने, भाऱ्या पदार्थविकल्प तेम ज मोक्ष केरा मार्गने। १०५। Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008395
Book TitlePunchaastikaai Sangrah
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year2008
Total Pages293
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy