SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates कहानजैनशास्त्रमाला] षड्द्रव्य-पंचास्तिकायवर्णन [११३ व्यकर्मोदयापादितेष्टानिष्टविषयाणां भोक्तृत्वात्तथाविधं फलं भुञ्जन्ते इति। एतेन जीवस्य भोक्तृत्वगुणोऽपि व्याख्यातः।। ६७।। तम्हा कम्मं कत्ता भावेण हि संजुदोध जीवस्स। भेत्ता हु हवदि जीवो चेदगभावेण कम्मफलं।। ६८।। तस्मात्कर्म कर्तृ भावेन हि संयुतमथ जीवस्य। भेक्ता तु भवति जीवश्चेतकभावेन कर्मफलम्।।६८।। कर्तृत्वभोक्तृत्वव्याख्योपसंहारोऽयम्। त्त एतत् स्थित्त निश्चयेनात्मनः कर्म कर्तृ, व्यवहारेण जीवभावस्य; जीवोऽपि निश्चयेनात्मभावस्य कर्ता, व्यवहारणे कर्मण इति। यथात्रोभयनयाभ्यां कर्म कर्तृ, तथैकेनापि नयेन न -------- ----- --------- इससे [ इस कथनसे ] जीवके भोक्तृत्वगुणका भी व्याख्यान हुआ।। ६७ ।। गाथा ६८ अन्वयार्थः- [ तस्मात् ] इसलिये [ अथ जीवस्य भावेन हि संयुक्तम् ] जीवके भावसे संयुक्त ऐसा [ कर्म ] कर्म [ द्रव्यकर्म ] [ कर्तृ ] कर्ता है। [-निश्चयसे अपना कर्ता और व्यवहारसे जीवभावका कर्ता; परन्तु वह भोक्ता नहीं है ]। [ भोक्ता तु] भोक्ता तो [ जीवः भवति ] [ मात्र ] जीव है [ चेतकभावेन ] चेतकभावके कारण [कर्मफलम् ] कर्मफलका। टीका:- यह, कर्तृत्व और भोक्तृत्वकी व्याख्याका उपसंहार है। इसलिये [ पूर्वोक्त कथनसे ] ऐसा निश्चित हुआ कि-कर्म निश्चयसे अपना कर्ता है, व्यवहारसे जीवभावका कर्ता है; जीव भी निश्चयसे अपने भावका कर्ता है, व्यवहारसे कर्मका कर्ता है। जिस प्रकार यह नयोंसे कर्म कर्ता है, उसी प्रकार एक भी नयसे वह भोक्ता नहीं है। किसलिये ? क्योंकि उसे चैतन्यपूर्वक अनुभूतिका सद्भाव नहीं है। इसलिये चेतनापने के कारण * जो अनुभूति चैतन्यपूर्वक हो उसीको यहा भोक्तृत्व कहा है, उसके अतिरिक्त अन्य अनुभूतिको नहीं। तेथी करम, जीवभावसे संयुक्त कर्ता जाणवू; भोक्तापणुं तो जीवने चेतकपणे तत्फल तणुं ६८। Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008395
Book TitlePunchaastikaai Sangrah
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year2008
Total Pages293
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy