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बन्ध अधिकार
है, उसे यहाँ मिथ्या बता रहे हैं। कोई किसी का अच्छा-बुरा कर ही नहीं सकता, ऐसा निर्णय आवश्यक है। जबतक मैं दूसरों का अच्छा-बुरा कर सकता हूँ - यह मान्यता श्रद्धा में बनी रहेगी, तबतक मिथ्यात्व कर्म का उदयजन्य कार्य चल रहा है, ऐसा समझना चाहिए। करने-कराने का भाव कर्मोदयजन्य -
सहकारितया द्रव्यमन्येनान्यद् विधीयते ।
क्रियमाणोऽन्यथा सर्वः संकल्प: कर्म-बन्धजः ।।१६३।। अन्वय :- सहकारितया द्रव्यं अन्येन अन्यत् विधीयते ।अन्यथा क्रियमाणः सर्वः संकल्प: कर्म-बन्धजः (भवति)।
सरलार्थ :- सहकारिता अर्थात् निमित्त की दृष्टि से देखा जाय तो एक द्रव्य दूसरे द्रव्य से अन्यरूप में किया जाता है। अन्यथा करने-करानेरूप जो संकल्प है, वह सब कर्मबन्ध से उत्पन्न होता है अर्थात् कर्म के उदयजन्य है; उसमें जीव का कुछ कर्तापना नहीं है।
भावार्थ :- वास्तव में एक द्रव्य की अवस्था के निमित्त से अन्य द्रव्य की अवस्था उत्पन्न होती है अर्थात् पूर्व पर्याय से भिन्न पर्यायरूप हो जाती है। इसतरह पर्याय के परिवर्तन का यह कार्य प्रत्येक द्रव्य के द्रव्य-गुण-पर्याय में ही सीमित है; अन्य द्रव्य के साथ उसका कर्ता-कर्मरूप संबंध नहीं है।
इस श्लोक में करने-करानेरूप संकल्प का और संकल्पानुसार अन्य द्रव्य के परिवर्तन का निषेध किया है और जीव को जो संकल्प होता है उस संकल्प का कारण पूर्वबद्ध मोहनीय कर्म का उदय है - यह सिद्ध किया है। फलितार्थरूप जीव को अकर्ता निश्चित किया है।
ऐसा ही भाव स्वामी कार्तिकेय अपनी कार्तिकेयानुप्रेक्षा की गाथा - ३१९ में निम्नप्रकार से स्पष्ट करते हैं :
"ण य को वि देदि लच्छी, ण को वि जीवस्स कुणदि उवयारं।
उवयारं अवयारं, कम्मं पि सुहासुहं कुणदि।। गाथार्थ :- इस जीव को व्यन्तर आदि देव लक्ष्मी नहीं देते हैं । इस जीव का कोई अन्य उपकार भी नहीं करता है। जीव के पूर्व संचित शुभ-अशुभ कर्म ही उपकार तथा अपकार करते हैं।" चारित्रादि की मलिनता में हेतु मिथ्यात्व -
चारित्रं दर्शनं ज्ञानं मिथ्यात्वेन मलीमसम्।
कर्पटं कर्दमेनेव क्रियते निज-संगतः ।।१६४।। अन्वय :- कर्दमेन कर्पटं इव चारित्रं दर्शनं ज्ञानं मिथ्यात्वेन निज-संगतः मलीमसं क्रियते ।
सरलार्थ :- जिसप्रकार कपड़ा कीचड़ के साथ स्वयं संपर्क करने से मैला हो जाता है; उसीप्रकार मिथ्यात्व के साथ स्वयं संगति करने से चारित्र, दर्शन/श्रद्धा और ज्ञान मिथ्या हो जाते हैं।
[C:/PM65/smarakpm65/annaji/yogsar prabhat.p65/119]