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________________ विदाई की बेला १३२ • सशक्त लेखनी का उत्कृष्ट नमूना 'विदाई की बेला' आध्यात्मिक दृष्टि से आधुनिक कथा साहित्य के क्षेत्र में आपकी सशक्त लेखनी का उत्कृष्टतम नमूना है। क्या रचना तंत्र, क्या चरित्र-चित्रण, क्या वैचारिक शान्त रस का परिपोष, क्या समाधिमरण की व्याख्या? क्या - क्या गिनायें, सब में उत्कृष्टता है। अध्यात्म रस से ओत-प्रोत यह कृति सूक्ष्मतम सिद्धान्तों को हृदयंगम कराने में भी सफल है। 'जीवन जीने की कला' को कथानक में बड़ी अच्छी तरह से अनुस्यूत किया है। आपका लेखन गूढ़विचार गर्भित, सुबोध और आत्मबोध लक्ष्यी होता है। बारम्बार पढ़ा ........ फिरफिर पढ़ने को मन ललचाता है। इसमें प्रौढ़ों को अपना बुढ़ापा सफल व सुखद बनाने की कला मिल जाती है। अधिक क्या? यह कृति आत्मार्थी को मोक्षोन्मुख बनाने में पूर्ण समर्थ हैं। • प्रो. प्रेमचन्द निरखे, मल्कापुर (महा.) • सुन्दर कृति 'विदाई की बेला' रोचक, ज्ञानवर्द्धक, आध्यात्मिक आस्वाद देनेवाली सुन्दर कृति है । एतदर्थ लेखक को जितना धन्यवाद दिया जाय कम है। - डॉ. महेन्द्रसागर प्रचण्डिया, अलीगढ़ (उ.प्र.) • गुजराती अनुवाद अत्यावश्यक - पण्डित रतनचन्द भारिल्ल द्वारा लिखित 'विदाई की बेला' बहुत सुन्दर कृति है। यह पुस्तक मुझे इतनी अच्छी लगी कि मैंने इसे एक बैठक में ही पूरी तरह पढ़ ली और बारम्बार पढ़ने का मन होता है। इसमें कथा का प्रस्तुतीकरण और आध्यात्मिक बोध खूब सुन्दर ढंग से रखा गया है। हिन्दी न जाननेवाले हमारे गुजराती भाई भी इसे पढ़ सकें; समझ सकें, एतदर्थ गुजराती अनुवाद अत्यावश्यक है। इसे पढ़कर इसका गुजराती अनुवाद करने की स्वयं मेरी प्रबल भावना हो रही है। एतदर्थ आपकी अनुमति अपेक्षित है। उत्तर की प्रतीक्षा में । - डॉ. बलूभाई शाह, बम्बई (71) अभिमत • लाखों प्रतियाँ घर-घर पहुँचें 'विदाई की बेला' पढ़कर मुझे जो आनन्द प्राप्त हुआ, मैं उसका वर्णन शब्दों में नहीं कर सकता। इसे जो भी भाई पढ़ना प्रारंभ करेगा, अन्त तक पढ़कर ही छोड़ेगा। तत्त्वज्ञान होने पर समाधि किस प्रकार सहज हो जाती है, इसका वर्णन इस पुस्तक में लेखक ने सरल भाषा में किया है। 'विदाई की बेला' पुस्तक छह माह के अल्पकाल में दस हजार की संख्या में समाज में फैल गई। यह तो खुशी की बात है ही, इसकी और भी लाखों प्रतियाँ घर-घर पहुँचें ऐसी मेरी आन्तरिक भावना है तथा इस प्रकार की और भी पुस्तकें बनायी जाएँ, जिनसे वृद्ध, प्रौढ़, युवा एवं बालकों में भी वीतराग मार्ग के प्रति सच्ची तत्त्व रुचि जाग्रत होवे । लेखन ने इस पुस्तक के द्वारा विवेक को समाधिमरण कराकर समाधि की भावना को प्रगटरूप देकर समाज का बहुत बड़ा उपकार किया है। यह पुस्तक 'संस्कार' से भी अधिक लोकप्रिय होगी ऐसा मेरा मानना है। - पूनमचन्द छाबड़ा मंत्री, पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर - • विदाई की बेला रूपक : एक मधुर संकल्पना 'विदाई की बेला', सुभाषित वाक्यों, नीति, आगम और आध्यात्मिक विचारों को अपने में समाहित किये हुए हैं। मृत्यु के समय को 'विदाई की बेला' के रूप में प्रस्तुत करके लेखक ने मधुर संकल्पना दी है। इस 'विदाई की बेला' समय हमारे परिणाम कैसे हों और इन परिणामों के लिए जीवन के अन्तिम चरण वृद्धावस्था में क्या तैयारी हो ; इसका दिशानिर्देश 'सदासुखी' के चरित्र के रूप में बहुत सुन्दर ढंग से किया गया है। समाधि, समाधिमरण, सल्लेखना इन विषयों का विवेचन बड़ा मधुर है। सदासुखी के जीवन में इनका दर्शन तो पूरे विवेचन को सजीव बना देता है। पुस्तक का गेट-अप, कागज, छपाई आदि भी सुन्दर है। लेखक बधाई के पात्र हैं। - श्री हरकचन्द बिलाला, अशोकनगर (म.प्र.) १३३
SR No.008385
Book TitleVidaai ki Bela
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2007
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size325 KB
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