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शुद्धात्मशतक
शुद्धात्मशतक
कम्मं णाणं ण हवदि जम्हा कम्मं ण याणदे किंचि । तम्हा अण्णं णाणं अण्णं कम्मं जिणा बेंति ।। कर्म ज्ञान नहीं है क्योंकि कुछ जाने नहीं। बस इसलिए ही कर्म अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ।।
कर्म ज्ञान नहीं है, क्योंकि कर्म कुछ जानता नहीं हैं; इसलिए कर्म अन्य हैं और ज्ञान अन्य हैं; ऐसा जिनदेव कहते हैं।
(५४) कालो णाणं ण हवदि जम्हा कालो ण याणदे किंचि । तम्हा अण्णं णाणं अण्णं कालं जिणा बेंति ।। काल ज्ञान नहीं है क्योंकि स्पर्श कुछ जाने नहीं। बस इसलिए ही काल अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ।।
काल (कालद्रव्य) नहीं है, क्योंकि स्पर्श कुछ जानता नहीं हैं; इसलिए काल अन्य हैं और ज्ञान अन्य हैं; ऐसा जिनदेव कहते हैं।
धम्मो णाणं ण हवदि जम्हा धम्मो ण याणदे किंचि । तम्हा अण्णं णाणं अण्णं धम्मं जिणा बेंति ।। धर्म ज्ञान नहीं है क्योंकि धर्म कुछ जाने नहीं। बस इसलिए ही धर्म अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ।।
धर्म (धर्मद्रव्य) ज्ञान नहीं है, क्योंकि अधर्म कुछ जानता नहीं हैं; इसलिए अधर्म अन्य हैं और ज्ञान अन्य हैं; ऐसा जिनदेव कहते हैं।
आयासं पि ण णाणं जम्हायासं ण याणदे किंचि । तम्हायासं अण्णं अण्णं णाणं जिणा बेंति ।। आकाश ज्ञान नहीं है क्योंकि आकाश कुछ जाने नहीं। बस इसलिए आकाश अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ।।
आकाश ज्ञान नहीं है, क्योंकि आकाश कुछ जानता नहीं हैं; इसलिए आकाश अन्य हैं और ज्ञान अन्य हैं; ऐसा जिनदेव कहते हैं।
(५३) णाणमधम्मो ण हवदि जम्हाधम्मो ण याणदे किंचि । तम्हा अण्णं णाणं अण्णमधम्मं जिणा बेंति ।। अधर्म ज्ञान नहीं है क्योंकि अधर्म कुछ जाने नहीं। बस इसलिए ही अधर्म अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ।।
अधर्म (अधर्मद्रव्य) ज्ञान नहीं है, क्योंकि स्पर्श कुछ जानता नहीं हैं; इसलिए अधर्म अन्य हैं और ज्ञान अन्य हैं; ऐसा जिनदेव कहते हैं।
णज्झवसाणं णाणं अज्झवसाणं अचेदणं जम्हा । तम्हा अण्णं णाणं अज्झवसाणं तहा अण्णं ।। अध्यवसान ज्ञान नहीं है क्योंकि वे अचेतन जिन कहे । इसलिए अध्यवसान अन्य रु ज्ञान अन्य श्रमण कहें ।।
अध्यवसान ज्ञान नहीं है, क्योंकि अध्यवसान अचेतन हैं; इसलिए अध्यवसान अन्य हैं और ज्ञान अन्य है।
५२. समयसार गाथा ३९८
५५. समयसार गाथा ४०४
५१.समयसार गाथा ३९७ ५३.समयसार गाथा ३९९
५४. समयसारगाथा ४०० ५६.समयसार गाथा ४०१